संविदा स्वास्थ्य कर्मियों का मोर्चा,अनिश्चितकालीन हड़ताल से बढ़ी परेशानी
नमस्ते कोरबा :- अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर उन्होंने छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ के बैनर तले मोर्चा खोल घंटाघर चौक पर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा रही है।
आंदोलन कर रहे कर्मियों ने कहा कि प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अंतर्गत 16 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। रायपुर अंबेडकर अस्पताल से लेकर प्रदेश के सुदूर सुकमा, बीजापुर जिलों के भीतर बसे गाँवों में स्थित आयुष्मान आरोग्य मंदिरों तक में प्रदेश की आम जनता को पूरी निष्ठा के साथ स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर रहे हैं।
उन्होंने कहा की कोरोना काल में जान पर खेल कर उन्होंने राज्य में जनता की सेवा करी है। जिसमें उनके कई साथी काल-कवलित हो चुके हैं। सरकार ने स्वयं हमें कोरोना योद्धा कहा, पर राज्य की विडंबना यह है कि अनुकम्पा नीति के अभाव में आज उनके परिवार की कोई सुध लेने वाला नहीं है।
बीमा पेंशन जैसी प्राथमिक सुविधाओं से वंचित विगत 20 वर्षों से एनएचएम कर्मचारी अपनी सामाजिक आर्थिक दशा में सुधार के लिए मांग करते आ रहे हैं। वर्तमान सरकार के चुनावी घोषणा में उल्लेखित मोदी की गारंटी अंतर्गत उनकी समस्याओं के समाधान का वादा किया गया है।। उन्होंने कहा कि मंत्रियों, सांसदों, विधायकों सहित उच्च अधिकारियों को कई बार संघ द्वारा आवेदन, निवेदन किया गया।
शांति पूर्ण प्रदर्शन एवं वार्ताएं भी की गई हैं, लेकिन अत्यंत खेद का विषय है कि उनके मांगों की अब तक कोई भी ठोस सुनवाई नहीं हुई है। इस वर्ष 1 मई मजदूर दिवस पर मिशन संचालक से चर्चा पश्चात कहा गया कि एनएचएम स्तर की मांगों को एक माह के भीतर निराकरण करने का प्रयास किया जाएगा।
ऐसे ही 14 जुलाई को भी नीतिगत बिंदुओं को छोड़ कर अन्य मांगों का निराकरण के लिए एक बार पुनः कहा गया परंतु आज पर्यंत तक कुछ नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि मणिपुर राज्य में एनएचएम कर्मचारी नियमित कर दिए गए। बिहार राज्य में पब्लिक हेल्थ कैडर को स्वीकार किया गया। बगल के सीमावर्ती राज्य मध्यप्रदेश में समान काम समान वेतन पे स्केल अनुकम्पा नियुक्ति नई पेंशन स्कीम, जॉब सुरक्षा, नियमित पदों पर 50 प्रतिशत आरक्षण जैसी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, किंतु छग के एनएचएम कर्मचारी आज 20 साल बाद भी अपने सामाजिक आर्थिक सुरक्षा को लेकर अधर में हैं। सरकार एवं प्रशासन के द्वारा इस संबंध में किसी भी प्रकार की कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है।
राज्य में ही 1.50 लाख शिक्षकों का संविलियन किया गया था। कुछ समय पूर्व ही सेवा से पृथक ढाई हजार शिक्षकों को शासन ने सहृदयता दिखाते उनकी नौकरी की सुरक्षा की है, किंतु 20 वर्षों से एनएचएम कर्मी जो राज्य की जनता की सेहत की देखभाल कर रहे हैं आज तक प्रतीक्षा में हैं।
पूर्व के अपने शान्तिपूर्ण प्रदर्शन में उन्होंने आम जनता की सेहत को देखते हुए नवजात शिशुओं के देखभाल केंद्र (एसएनसीयू) को बाहर रखा जिससे किसी शिशु की सेहत पर आँच न आने पाए, उसके जीवन पर खतरा न हो। जनता का ध्यान रखते हुए आपातकालीन सेवाओं को बाधित नहीं किया।
परन्तु शासन-प्रशासन की इस उपेक्षा एवं अनदेखी, बार बार ज्ञापन देने से भी कोई सुनवाई न होने पर समस्त एन एच एम संविदा कर्मचारी निराश, क्षुब्ध एवं आक्रोशित हैं। 18 अगस्त से अनिश्चितकालीन आंदोलन कर कार्य बहिष्कार के लिए बाध्य हो गए हैं। शासन की बेरुखी से इस बार आन्दोलन में एस एन सी यू सहित राज्य की सभी आवश्यक चिकित्सा सुविधा बाधित होने का पूर्ण जिम्मेदार शासन-प्रशासन स्वयं होगा।
उनकी प्रमुख मांगो के अंतर्गत संविलियन एवं स्थायीकरण, पब्लिक हेल्प कैडर की स्थापना, ग्रेड पे का निर्धारण, कार्य मूल्यांकन व्यवस्था में पारदर्शिता, लंबित 27 प्रतिशत वेतन वृद्धि, नियमित भर्ती में सीटों का आरक्षण, अनुकम्पा नियुक्ति, मेडिकल एवं अन्य अवकाश की सुविधा, स्थानांतरण नीति, न्यूनतम 10 लाख कैशलेश चिकित्सा बीमा आदि सम्मिलित हैं।
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