शहर में चल रहा है एक ऐसा बैंक,जो भूखों को खिलता है खाना,छत्तीसगढ़ हेल्प वेलफेयर सोसायटी ने असक्षम लोगों को 2 वक्त भरपेट खाना खिलाने का बीड़ा उठाया
नमस्ते कोरबा :- शहर के मुख्य मार्गों के किनारे व रेस्टोरेंट व होटल के सामने कभी भिक्षुक व मानसिक रूप से अस्वस्थ लोग भोजना मांगते या फिर कूड़ेदान में खाने का सामान ढूंढ़ते नजर आते थे. लेकिन शहर में अब ऐसा नजर नहीं आता है क्योंकि ऐसे जरूरतमंदों तक दिन के दोनों समय भोजन उपलब्ध कराने शहर में रोटी बैंक सेवा चल रही है.
दरअसल, 5 साल से शहर में मानव सेवा से जुड़ी संस्था छत्तीसगढ़ हेल्प वेलफेयर सोसायटी रोटी बैंक सेवा चला रही है. संस्था के दो कार्यकर्ता शिवा प्रतीक व मिहिर जहां दोनों समय सेवा में लगे रहते हैं.
बड़े नसीब वाले होते हैं, जिन लोगों को 2 जून की रोटी नसीब होती है’ यह कहावत आपने अक्सर अपने घर, परिवार में बड़े बुजुर्गों से जरूर सुनी होगी. आपको बता दें कि इस कहावत का जून महीने से कोई मतलब नहीं है. सही मायने में इस कहावत का मतलब यह है कि दिन में 2 समय रोटी बड़े नसीब या बड़ी मुश्किल से मिलती है. देखा जाए तो जीवन की सबसे बड़ी जद्दोजहद पेट पालने की ही है.
पेट की भूख को शांत रखने के लिए ही इंसान रात-दिन मेहनत करता है. फिर भी देशभर में कई ऐसे लोग होते हैं, जिन्हें 2 वक्त की रोटी नसीब नहीं होती है. लेकिन छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक सामाजिक संस्था ने इस दिशा में पहल करते हुए असक्षम लोगों को 2 वक्त भरपेट खाना खिलाने का बीड़ा उठाया है.
कोसाबाड़ी से लेकर सीतामढ़ी तक के 80 परिवार भी इनके सहयोग में जुड़े हैं. ऐसे परिवार की महिलाएं हर दिन दोनों समय स्वभाव से रोटी, चावल व सब्जी बनाकर संस्था को जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए देती हैं.
दोनों समय का भोजन एकत्रित कर कार्यकर्ता शिवा व मिहिर संस्था के सेवा आश्रम, बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन, साप्ताहिक बाजार के शेड समेत अन्य जगह पर मौजूद जरूरतमंदों तक पहुंचते हैं.