पेट दर्द की शिकायत लेकर जिला अस्पताल इलाज के लिए पहुचे युवक की मौत, परिजनों का कहना है की लापरवाहीपूर्वक इलाज से मौत
नमस्ते कोरबा :- कोरबा के स्व. बिसाहू दास महंत स्मृति मेडिकल कॉलेज अस्पताल में गुरुवार को एक बार फिर इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। 24 वर्षीय अनिकेत यादव की मौत डॉक्टरों की लापरवाही से हो गई — वजह सिर्फ इतनी थी कि समय पर ऑक्सीजन नहीं दी गई। ऐसा आरोप मृतक के परिजनों ने लगाया है
अनिकेत को 22 मई की सुबह पेट दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिजनों ने बताया कि डॉक्टरों ने शुरुआत में केवल ब्लड टेस्ट करवाया। रिपोर्ट आने में दोपहर हो गई। इसके बाद सोनोग्राफी कराने भेजा गया लेकिन तब तक रेडियोलॉजिस्ट जा चुके थे। फिर मरीज को बाहर सिटी स्कैन के लिए रेफर कर दिया गया। इस दौरान अनिकेत की हालत बिगड़ती गई — लेकिन कोई डॉक्टर गंभीर नहीं दिखा।
जब मरीज लौटकर आया, तब उसकी हालत इतनी नाजुक हो चुकी थी कि उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी। परिजनों ने डॉक्टरों से ऑक्सीजन की मांग की तो जवाब मिला, “ऑक्सीजन बेड देंगे, लेकिन कब तक मिलेगा, ये नहीं कह सकते।” आखिरकार, ऑक्सीजन के इंतजार में ही अनिकेत ने अस्पताल के बिस्तर पर दम तोड़ दिया।
अनिकेत की मौत के बाद परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा। परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया और डॉक्टरों पर लापरवाही के आरोप लगाए। घटना की जानकारी मिलने पर अस्पताल अधीक्षक डॉ. गोपाल कंवर मौके पर पहुंचे, लेकिन उन्होंने भी ‘जांच होगी’ कहकर खुद को बचाने की कोशिश की, और कहा कि पूरी हकीकत पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही पता चलेगी की लापरवाही हुई है या नहीं,
यह घटना केवल चिकित्सा तंत्र की विफलता नहीं, बल्कि संवेदनहीनता का जीता-जागता उदाहरण है। सवाल उठता है कि क्या मेडिकल कॉलेज सिर्फ डिग्री देने की फैक्ट्री बनकर रह गया है ? आम जनता का जीवन क्या अब किसी के लिए मायने नहीं रखता ?
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