समिति के अध्यक्ष अशोक यादव ने बताया कि बालको प्रबंधन जब सरकारी था तब उसमें लगभग 10000 कर्मचारी कार्यरत थे अब उनकी संख्या 500 के आसपास रह गई है बालको प्रबंधन के द्वारा मनमाने तरीके से वीआरएस लेने के लिए दबाव बनाया जाता है संयंत्र में कुछ अफसर एवं कर्मचारी पति-पत्नी के रूप में कार्यरत है उनमें से किसी एक को जबरदस्ती रिटायरमेंट दिया जा रहा है इसमें यूनियन के पदाधिकारियों की भी भूमिका संदिग्ध है बालकों द्वारा शुरू से ही स्थानीय निवासियों की उपेक्षा की जा रही है हर काम आउटसोर्सिंग के माध्यम से कराया जा रहा है जिसमें बाहर के श्रमिकों को लाकर कार्य कराया जा रहा है जिससे स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश व्याप्त है जिससे कभी भी यहां की स्थिति गंभीर हो सकती है जिसकी जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी बालको क्षेत्र में नगर निगम के 8 वार्ड आते हैं जिसमें बालकों के द्वारा सीएसआर मद से कोई भी कार्य नहीं कराया जाता बालको संयंत्र प्रदूषण के मामले में भी फिसड्डी साबित हो रही है बालकों के द्वारा राख का अवैध परिवहन किया जा रहा है जिससे कि बड़े पैमाने पर प्रदूषण फेल रहा है समिति द्वारा माननीय प्रधानमंत्री से निवेदन किया गया कि इन मुद्दों पर उचित कार्यवाही करवाई जाए पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष कोरबा सांसद कलेक्टर कोरबा एवं बालको CEO को भी दिया गया