Wednesday, July 30, 2025

धनतेरस आज बाजार होगा गुलजार पांच दिवसीय दीपोत्सव का आगाज

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धनतेरस आज बाजार होगा गुलजार
हर वर्ग के लिए साल का सबसे बड़ा त्यौहार 12 नवंबर को है धन के देवता कुबेर और आयुर्वेद के देव धन्वंतरी भगवान की पूजा होती है साथी लोग अपने अपने घरों में नया-नया सामान बाजार से खरीदने आतुर रहते हैं वही व्यापारियों ने भी लोगों की जरूरत के लिहाज से तैयारी पहले से ही करके रख ली है धनतेरस के लिए बाजार सज कर तैयार है धनतेरस पर हर किसी को कोई ना कोई वस्तु मुहूर्त के लिए खरीदना चाहिए जो उनके लिए शुभ संकेत है शहर का बाजार पूरी तरह त्यौहार की खरीदी के लिए सज गया है ऑटोमोबाइल सेक्टर सर्राफा इलेक्ट्रॉनिक्स कपड़ा बर्तन के व्यापारियों ने ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कोई ना कोई ऑफर उन्हें खरीद कर दे रहे हैं बाइक शोरूम की कंपनियां भी सामान्य सीजन से अलग स्कीम दे रही हैं एक ज्वेलर्स व्यापारी ने बताया कि मुहूर्त की खरीदी के लिए लोग सोने और चांदी के सिक्के ही खरीद रहे हैं

गुरुवार को लोग कुबेर के पूजन के लिए खरीददारी करेंगे। बाजार भी सज कर तैयार है। धनतेरस के एक दिन पहले बाजार रंगबिरंगी रोशनी से दमक उठा था। वहीं गुरुवार को धनतेरस के मौके पर सोना, चांदी, कार, मोटरसाइकिल और बर्तनों की जमकर खरीददारी की तैयारी है। बाजार को लगभग सौ करोड़ के कारोबार की उम्मीद हैधनतेरस की खरीदी के लिए शहर का बाजार सज कर तैयार है, दुकानों में भीड़-भाड़ का माहौल भी दो दिन पूर्व से ही दिखने लगा है। पुष्य नक्षत्र पर हुई खरीदारी के बाद दुकानदारों की उम्मीद अब धनतेरस पर टिकी हुई है। इसके लिए कोरबा के बाजारों में ग्राहकों के लिए विशेष प्रकार की सुविधाएं, ऑफर सहित अन्य जतन किए गए हैं, ताकि ग्राहकों को त्योहार के अवसर पर अधिक से अधिक लाभ मिल सके। धनतेरस के दिन लोग बर्तन से लेकर भूमि भवन, वाहन, आभूषणों की खरीदी करते हैं।तेरह दीये जलाकर करते है माता लक्ष्मी का स्वागतछत्तीसगढ़ में धनतेरस की शाम महिलाएं आंगन गोबर से लीपकर चावल आटे से बने तेरह दीये दरवाजे पर रखती हैं. उनका मानना है कि इन दीयों के साथ ही माता लक्ष्मी को घर में पधारने का आमंत्रण दिया जाता है. वहीं रीति रिवाज के साथ नए आभूषणों और बर्तनों की पूजा की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन 5 धातु खरीदे जाते हैं, जिसमें सोना, चांदी, पीतल, कांसा, तांबा शामिल हैं. कई-कई जगहों पर इस दिन झाड़ू खरीदने की भी परंपरा है कहा जाता है कि इससे सारे कष्ट घर के बाहर निकल जाते हैं.

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