वीकेंड स्पेशल : शांति और आस्था का प्रतीक,सफेद ध्वज से पहचान, 600 फीट ऊँचे पहाड़ पर विराजमान कोसगाई माता
नमस्ते कोरबा :- कोरबा जिले के मुख्यालय से 42 किलोमीटर दूर 600 फीट ऊँचे पहाड़ पर स्थित कोसगाईगढ़ आज भी आस्था और इतिहास की अनमोल धरोहर संजोए हुए है। यह वही स्थान है जहाँ पत्थरों से बने अभेद्य किले की गोद में विराजमान हैं कोसगाई माता जिन्हें धन और शांति की देवी माना जाता है।
आम तौर पर देवी मंदिरों में लाल ध्वज चढ़ाया जाता है, लेकिन कोसगाई माता के मंदिर की पहचान है इसका सफेद ध्वज, जो शांति का प्रतीक है। जनश्रुति है कि माता बिना छत्र-छाया के रहना पसंद करती हैं, इसलिए मंदिर पर गुंबद नहीं बनाया गया।
हर वर्ष चैत्र और क्वांर नवरात्र में जब यहां ज्योति कलश प्रज्वलित होते हैं, तब हजारों श्रद्धालु पहाड़ पर चढ़कर देवी के दरबार में हाजिरी लगाते हैं। किले की प्राकृतिक छटा और आस्था का संगम भक्तों को आत्मिक शांति का अनुभव कराता है।
पहाड़ पर स्थित भीमसेन की भव्य प्रतिमा, तोप-जंजाल, लाटा पथना और नगारा डुगु इस स्थल के ऐतिहासिक महत्व को और भी गहराई देते हैं। कहा जाता है कि यहीं पर शासकों और आक्रमणकारियों के बीच युद्ध हुआ था और युद्ध के नगाड़े की गूंज आज भी पत्थरों में दर्ज है।
पहाड़ के दक्षिण छोर पर स्थित बाबा कुटी और सुरहीगाय की प्रतिमा श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र हैं। गाय के मुख से निरंतर जलधारा प्रवाहित होती रहती है, जिससे यहां आने वाले भक्तों को कभी प्यास नहीं लगती।
कोसगाई माता छुरी राजघराने की कुलदेवी भी हैं। राजघराने के सदस्य कुंवर राज्यवर्धन सिंह कहते हैं “माता शांति का प्रतीक हैं। उनकी पूजा और आराधना से धन, ऐश्वर्य और सबसे बढ़कर जीवन में शांति की प्राप्ति होती है।”
इतिहास, प्रकृति और अध्यात्म का अद्भुत संगम कोसगाईगढ़ आज भी हर श्रद्धालु को यह संदेश देता है कि सच्ची समृद्धि तभी है जब जीवन में शांति बनी रहे।
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