कटघोरा वन मंडल में हाथियों की महफ़िल,मां की गोद में सुकून से सोया नन्हा शावक
नमस्ते कोरबा :- कटघोरा वन मंडल से आई एक तस्वीर ने हमें चुपचाप बहुत कुछ सिखा दिया है। मां की छांव में इत्मीनान से सोता नन्हा हाथी, और उसके चारों ओर खड़े झुंड के प्रहरी। यह दृश्य सिर्फ़ वन्य जीवन का सामान्य क्षण नहीं है, बल्कि प्रकृति की उस विराट कथा का अंश है,जिसमें सुरक्षा, मातृत्व और सह-अस्तित्व की धारा बहती है।
52 हाथियों का दल इन दिनों कोरबा के जंगलों में विचरण कर रहा है। उनकी मौजूदगी कभी-कभी गांववालों के लिए चिंता का विषय बन जाती है, पर इसी बीच कैमरे में कैद हुआ मासूम शावक हमें यह याद दिलाता है कि इंसान और जानवर दोनों की असली ज़रूरत है,एक सुरक्षित ठिकाना।
हमारे समाज में जहां असुरक्षा,भय और विभाजन का माहौल अक्सर हावी दिखता है, वहां यह दृश्य एक दर्पण है। हाथियों के झुंड ने जिस तरह अपने नन्हे शावक को घेरे में लेकर सुकून दिया, क्या हम भी अपने बच्चों, अपने परिवेश और अपनी धरती को वैसे ही घेर पा रहे हैं?
जंगल सिर्फ़ हरियाली का नाम नहीं, यह उन असंख्य धड़कनों का संसार है, जिन्हें हम सुनने की आदत भूलते जा रहे हैं। जब हम एक पेड़ काटते हैं, तो हम सिर्फ़ लकड़ी नहीं छीनते, हम उस मां की छांव भी छीन लेते हैं जिसमें कोई नन्हा शावक चैन से सो सकता था।
कटघोरा से आई यह तस्वीर एक संदेश है,“जंगल बचाइए, क्योंकि वहां सिर्फ़ जानवर नहीं रहते, वहां हमारी मानवता भी सांस लेती है।” अगर हम सचमुच भविष्य की पीढ़ियों को उपहार देना चाहते हैं, तो सबसे बड़ा उपहार यही होगा कि हम उन्हें वह दुनिया लौटाएं, जहां मां की गोद में शावक बिना भय सो सके, और जहां इंसान और प्रकृति के बीच रिश्ता संघर्ष का नहीं, सह-अस्तित्व का हो।
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