Thursday, July 17, 2025

वर्ल्ड स्नेक डे 2025: अविनाश ने ढाई लाख सांपों को बचाया, छत्तीसगढ़ के पहले व्यक्ति जिन्होंने किया विश्व के सबसे बड़े विषधर का रेस्क्यू; बचपन की कहानी सुन शहम जाएंगे आप!

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वर्ल्ड स्नेक डे 2025: अविनाश ने ढाई लाख सांपों को बचाया, छत्तीसगढ़ के पहले व्यक्ति जिन्होंने किया विश्व के सबसे बड़े विषधर का रेस्क्यू; बचपन की कहानी सुन शहम जाएंगे आप!

नमस्ते कोरबा. दुनियाभर में हर साल 16 जुलाई को वर्ल्ड स्नेक डे मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को सांपों के प्रति जागरूक करना और उनका संरक्षण करना है.इसी दिशा में छत्तीसगढ़ के कोरबा के अविनाश यादव ने एक ऐसी मिसाल पेश की है, जिसने सांपों के प्रति लोगों की सोच को पूरी तरह बदल दिया है.अविनाश अब तक लगभग ढाई लाख सांपों को रेस्क्यू कर उन्हें नई जिंदगी दे चुके हैं.

दो दशक पहले तक कोरबा जिले में सांप दिखते ही लोग लाठी-डंडे लेकर उन्हें मारने दौड़ पड़ते थे. लेकिन अविनाश यादव के अथक प्रयासों ने इस धारणा को पूरी तरह बदला दिया है. करीब 20 साल पहले जब अविनाश ने सांपों को बचाने का यह मिशन शुरू किया, तब धीरे-धीरे लोगों में जागरूकता आई. आज स्थिति यह है कि सांप दिखने पर लोग उन्हें मारने की बजाय तुरंत अविनाश को फोन करते हैं. फोन की घंटी बजते ही अविनाश अपना रेस्क्यू किट लेकर निकल पड़ते हैं.उन्होंने अब तक ढाई लाख से अधिक सांपों को सुरक्षित रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ा है.

इतना ही नहीं, अविनाश छत्तीसगढ़ के पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने कोरबा में विश्व के सबसे बड़े विषधर कहे जाने वाले सांपो की प्रजापति किंग कोबरा का सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया. उनके इस अनूठे कार्य को देख धीरे-धीरे कारवां बढ़ता गया और रेप्टाइल केयर एंड रेस्क्यू सोसायटी की टीम बन गई.आज उनके साथ छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से 28 युवा जुड़कर सांपों के रेस्क्यू में लगे हुए हैं, जो उनकी प्रेरणा से इस नेक कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं.

बचपन की कहानी, कैसे सांपों से हुआ लगाव…. 

सांपों के प्रति अविनाश का यह गहरा लगाव अचानक विकसित नहीं हुआ, बल्कि इसकी नींव उनके बचपन में ही पड़ गई थी. अविनाश यादव बताते हैं कि उनके माता-पिता ने उन्हें बताया था कि जब वह महज एक साल के थे, तब उनके बिस्तर पर एक सांप चढ़ आया था और उनसे लिपट गया था.अविनाश ने उस सांप को कसकर पकड़ लिया था.घरवालों ने बड़ी मुश्किल से उन्हें सांप से अलग किया था.

शायद यहीं से उनके और सांपों के बीच एक अनोखा रिश्ता बन गया. स्कूल के दिनों में भी उन्हें जहां कहीं सांप दिखने की सूचना मिलती, वे तुरंत दौड़ पड़ते थे. धीरे-धीरे उन्होंने इन जीवों के बारे में जानना शुरू किया और फिर रेस्क्यू का काम भी शुरू कर दिया.

कोरबा के इस ‘स्नेक मैन’ अविनाश यादव ने ढाई लाख से अधिक सांपों का रेस्क्यू कर न केवल पर्यावरण संतुलन में अहम योगदान दिया है, बल्कि मानवता की एक अनूठी मिसाल भी पेश की है.सांपों के प्रति उनका यह समर्पण और लगाव देख हर कोई हैरान रह जाता है.कोरबा जिले के लोगों में सांपों के प्रति जागरूकता लाने और उन्हें बचाने की अलख जगाने का श्रेय पूरी तरह अविनाश को जाता है, जिन्होंने अकेले शुरू किए गए इस नेक काम को आज एक बड़ी टीम में बदल दिया है.

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