नगर निगम चुनाव खत्म होते ही ओपन थिएटर क्षेत्र से चौपाटी शिफ्ट कराई गई गढ़कलेवा में
नमस्ते कोरबा :- ओपन थिएटर क्षेत्र में खोमचा कारोबार को संचालित करने की जिद्द कर रहे व्यवसायियों को आखिरकार गढक़लेवा में जाना पड़ा। निगम के दबाव पर उन्हें गढक़लेवा में भेज दिया गया है। संतुष्टि के लिए प्रवेश द्वार पर चौपाटी लिख दिया गया है ताकि संदेह दूर हो सके।
निगम का कहना है कि जिस उद्देश्य से गढक़लेवा बनाया गया और उस पर कई प्रकार के सुधार कार्य कराए गए ऐसे में उपयोगिता तय होना चाहिए। बेमन से नई जगह पर पहुंचे कारोबारियों ने फिर दोहराया कि व्यवसाय की स्थिति देखेंगे और अच्छे नतीजे नहीं आने पर फिर पुरानी जगह पर आएंगे।
फास्ट फूड से लेकर कई प्रकार के खानपान की चीजों पर आधारित खोमचा कारोबार से जुड़े हुए लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है, जो कोरबा के ओपन थिएटर क्षेत्र में लंबे समय से अपनी दुकान लगाते रहे हैं। लगातार इनकी संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। इनसे अलग हटकर इतनी ही संख्या में ऐसे कारोबारी के महानदी कंपलेक्स, निहारिका,कोसाबाड़ी , ट्रांसपोर्ट नगर, सीएसईबी चौक, ओवर ब्रिज अग्रसेन रोड से लेकर सीतामढ़ी तक अपनी दुकानें संचालित कर रहे हैं।
इसके माध्यम से उन्हें इतनी आमदनी हो जा रही है जिसके जरिए अपने परिवार की जीविका को आसानी सक्षम और समर्थ हो पा रहे हैं। ओपन थिएटर क्षेत्र को विभिन्न कार्यक्रमों के लिए सुरक्षित किया गया है और इस प्रकार की व्यवस्थाएं की गई है।
आए दिन यहां पर राजनीतिक सभाओं से लेकर विभिन्न संस्थाओं के कार्यक्रम होते हैं। इस वजह से सभा स्थल के आसपास खोमचा कारोबार करने लोगों को हटाना पड़ता है। इस पर भी उनकी नाराजगी स्वाभाविक रूप से सामने आती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए नगर पालिका निगम ने पिछले वर्षों में लगभग 20 लाख रुपए खर्च कर नजदीक में ही गढ़ कलेवा को विकसित किया।
हालांकि कुछ महीने तक ही इस स्थान पर छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के साथ दूसरे कारोबार चल सके। चोरी चकारी के काम में लगे तत्वों की गतिविधियों से यहां का काफी सामान चोरी हो गया और इसी बहाने के साथ कारोबार करने वाले लोग एक बार फिर से ओपन थिएटर में जम गए। लंबे समय तक इन्हें राहत मिली लेकिन निगम ने आखिरकार पुराने गढ़ कलेवा को ही चौपाटी के नए नाम से संचालित करने की नीति बनाई और इस पर क्रियान्वयन करना सुनिश्चित किया।
इस जगह पर ग्राहक नहीं आने और व्यवसाय नहीं होने की बात करते हुए कारोबारी ने दबाव बनाया और लंबे समय तक राहत प्राप्त कर ली। लेकिन व्यवस्था होने के बाद निगम ने नई जगह पर कारोबारी की शिफ्टिंग आखिरकार कर दी है। ऐसे लोगों को मौके पर जगह दी गई है और कहा गया है कि अब उन्हें यहां पर ही अपना काम करना होगा। आज सुबह से ऐसे कारोबारी को यहां पर अपने ठिकाने ले जाते हुए देखा गया। उनका कहना है कि जो व्यवस्था दी गई है उसके हिसाब से काम तो करना ही होगा।
चौपाटी संगठन के एक प्रतिनिधि ने मीडिया को बताया कि वे कम से कम एक महीने यहां पर अपने लोगों के साथ काम करेंगे। इस दौरान देखा जाएगा की पुरानी और नई जगह में किस प्रकार का अंतर है। ग्राहकों के आने और व्यवसाय की आर्थिक स्थिति के आधार पर चीजों का विश्लेषण किया जाएगा। सब कुछ अनुकूल रहा तो कोई बात नहीं लेकिन दूसरे हालत में उन्हें पुरानी जगह पर लौटने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
दूसरी और नगर पालिका निगम की ओर से साफ तौर पर कह दिया गया है कि जो ढांचा का व्यवस्था नवीन जगह पर की गई है उसके अपने मायने हैं और यहां पर कारोबार संचालन हमारी प्रतिबद्धता है। इस बारे में किसी प्रकार के दूसरे विकल्प अपनाने और समझौते करने की जरूरत नहीं है।
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