मॉडर्न जमाने में देसी अंदाज की शादी,इंजीनियर युवक ने निकाली बैलगाड़ी में बारात छत्तीसगढ़ी संस्कृति को सहेजने का अद्भुत प्रयास
नमस्ते कोरबा :- आधुनिकता के इस दौर में जहां हर कोई अपने आप को मॉडर्न दिखाना चाहता है और आडंबर में रहते हुए हर कार्य संपन्न कर रहा है,वहीं दूसरी ओर जांजगीर चांपा के एक इंजीनियर युवक के द्वारा छत्तीसगढ़ी संस्कृति को सहेजने का अद्भुत प्रयास किया गया युवक ने अपनी शादी में बुधवार को बैलगाड़ी पर बारात निकाली. इस दौरान छत्तीसगढ़ के प्रमुख वाद्य यंत्र मांदर, झांझ, मंजिरा के साथ कलाकार नाचते गाते हुए निकले. वहीं, शादी में छत्तीसगढ़िया पहनावे का बोलबाला नजर आया.
प्री वेडिंग शूट में छत्तीसगढ़ के परिधान और ग्रामीण लुक में दूल्हा-दुल्हन का फोटो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था. वहीं, दूल्हे की बुधवार को बारात निकली. बारात ऐसी थी कि जिसे देखने के लिए गली मोहल्ला नहीं बल्कि नगर के लोग उमड़ पड़े. छत्तीसगढ़ के प्रमुख पौराणिक वाहन बैलगाड़ी में पागा लगा कर दूल्हा सवार हुआ. वहीं, बारात छत्तीसगढ़ के लोक नृत्य कर्मा मंडली मांदर, झाझ, मजीरा के साथ निकली. दिन में निकली इस बारात को देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई. जबकि छत्तीसगढ़ की संस्कृति को संजोये रखने के इस प्रयास की हर कोई सराहना कर रहा है.
आज मेरे यार की शादी है. एक ऐसे यार की शादी हुई जिसने अपनी शादी के हर रस्म को छत्तीसगढ़िया संस्कृति के नाम कर दिया है. जांजगीर के पुरानी बस्ती चितर पारा में रहने वाले देवेंद्र राठौर की बुधवार को शादी हुई. पेशे से इंजीनियर देवेंद्र राठौर ने अपनी शादी के लिए खास तैयारी की थी. प्री वेडिंग शूट में छत्तीसगढ़िया अंदाज में फोटो और वीडियो शूट कराया. इसको सोशल मीडिया में देखने के बाद लोगों की खूब सराहना मिली थी. देवेंद्र राठौर ने इसी छत्तीसगढ़िया अंदाज में आगे बढ़ते हुए बैल गाड़ी पर बारात निकाली, जिसमें छत्तीसगढ़ के प्रमुख वाद्य यंत्र मांदर, झांझ, मंजिरा के साथ कलाकार नाचते गाते हुए निकले.
महिलाओं के साथ युवाओं पर दिखा छत्तीसगढ़िया परंपरा का असर
इतना ही नहीं बारात में शामिल परिवार की महिलाओं ने भी छत्तीसगढ़िया पहनावे को प्रथमिकता दी और हरा लुगरा के साथ कमर में करधन, हाथ में ककनी, कड़ा, पैरी पहन कर निकली. साथ ही जमकर नृत्य भी किया. जबकि पढ़े लिखे नौजवान के द्वारा आधुनिक ताम झाम को दरकिनार कर छत्तीसगढ़िया परंपरा को आगे बढ़ाने का काम किया है. इस कारण आज की युवा पीढ़ी को बैल गाडी से निकली बारात देखने की मिली.
शादी के इस छत्तीसगढ़िया अंदाज को लेकर दूल्हा देवेंद्र राठौर का कहना है कि आज समाज और छत्तीसगढ़ के लोग अपनी मूल को भूलते जा रहे हैं. पश्चिमी संस्कृति में रमते जा रहे हैं. इस कारण डीजे के कानफोड़ू साउंड और तामझाम में हमारी संस्कृति विलुप्त होते जा रही है. हमने परिवार के साथ चर्चा की और छत्तीसगढ़िया अंदाज में बारात निकालकर आज की युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से परिचय कराने की कोशिश की है.