नमस्ते कोरबा :- बाल मजदूरी से रिश्ता तोड़ बच्चों को शिक्षा से जोड़ने शासन कई योजनाएं चला रहा है। इसके लिए प्रशासन भी मुस्तैदी के साथ बच्चों का भविष्य गढ़ने योजनाओं का क्रियान्वयन कर रहा है। मगर विडंबना है कि स्कूल में ही बच्चों से दिहाड़ी मजदूरों की तरह गैंती-फावड़ा चलवाया जा रहा है। कुछ इसी तरह का नजारा वनांचल ग्राम कदमझेरिया में देखने को मिला।पढ़ने-लिखने और खेलने-कूदने की उम्र में कई बच्चे परिवार की आर्थिक मजबूरियों के चलते छोटे-मोटे काम करने जुट जाते हैं और स्कूल छोड़ देते हैं। शासन-प्रशासन से ऐसे शाला त्यागी बच्चों को ढूंढ़ने हर साल सर्वे कराया जाता है। दूसरी ओर इस जनशिक्षा केंद्र गढ़-उपरोड़ा के शासकीय प्राथमिक स्कूल कदमझेरिया में शिक्षक ही बच्चों को हाड़-तोड़ मजदूरी कराते कैमरे पर कैद हुआ।
जब उससे इस बारे में जानकारी ली गई, तो भी उसे इस बात का एहसास होता न दिखा कि उसने मासूम बच्चों से उनकी उम्र के मुकाबले कितनी ज्यादा मेहनत कराई है। सोचने वाली बात यह है कि अगर बच्चों को शिक्षा का पाठ पढ़ाकर कल का कुशल नागरिक बनाने वाले शिक्षक ही उन्हें बाल मजदूरों की तरह व्यवहार करेंगे, तो फिर भला गांव के इन भोले-भाले बच्चों के लिए उम्दा भविष्य की परिकल्पना को साकार करने की अपेक्षा कैसे की जा सकेगी।
खेल-कूद और पढ़ने की उम्र में ऐसी कड़ी मेहनत वाला काम कराने से न केवल उसके शारीरिक विकास में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है, बच्चों को चोट भी लग सकती है, पर शिक्षक के जवाबों से ऐसा बिलकुल नहीं लग रहा, कि उसे इस बात की कोई फिक्र होगी।शिक्षक बोले-एमडीएम के लिए करा रहे थे कामइस संबंध में कदमझेरिया में पदस्थ सहायक शिक्षक सत्येंद्र कुमार साहू ने बताया कि स्कूल में दो शिक्षक हैं।
उन्होंने कहा कि स्कूल के फील्ड एरिया में अंतिम कालखंड में एमडीएम के तहत शाक-सब्जी रोपाई के लिए फील्ड तैयार कर रहे थे। उनका कहना था कि साइड पर रखा भारी-भरकम गैंती-फावड़ा का उपयोग बच्चे नहीं, बल्कि शिक्षक करते हैं। जबकि वीडियो में स्पष्ट देखा जा सकता है कि एक बच्चा हाथ में बड़ा गैंती लिए पूरी ताकत से खुदाई कर रहा है और शिक्षक किसी छोटे औजार से मिट्टी बराबर करने का हल्का व कम मशक्कत भरा काम कर रहे हैं।
छोटे औजारों के टूल किट, फिर भारी गैंती क्योंविभाग की ओर से एमडीएम योजना के तहत पौधों को पानी देने डिब्बा, छोटा फावड़ा, कटर व आरी समेत अन्य औजार दिए गए हैं, जिनका उपयोग बच्चे करते हैं। पर यहां स्कूल में बच्चों को भारी-भरकम गैंती चलाते वीडियो में देखा जा सकता है। पुस्तक-कॉपी देने की बजाय हैवी औजारों का उपयोग बच्चों के शारीरिक विकास को प्रभावित करने के साथ गंभीर चोट का भी कारण बन सकता है, पर यहां उनकी फिक्र करने वाला कोई नहीं।
आप के माध्यम से स्कूल में बच्चों से कड़ी मेहनत कराते हुए गड्ढा खोदाई का काम कराए जाने की सूचना मिली है। इससे संबंधित एक वीडियो भी सामने आया है। मामले की जांच कराई जाएगी और अगर कहीं कुछ अनुचित मिला, तो कार्रवाई भी की जाएगी।- जीपी भारद्वाज, जिला शिक्षा अधिकारी







