

राजनीति के चाणक्य मंत्री जयसिंह आज प्रदेश की शीर्ष नेताओ में उनका नाम शुमार हैं। या यूं कहा जाए कि भूपेश के संकट मोचक हनुमान तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। जब जब पार्टी मुसीबत में तब तब उस मुसीबत से उबारने का काम किया हैं। नगर निगम के महापौर की चुनाव में संख्या कम होने के बाद भी पार्टी का महापौर बनाकर दिखा दिया कि हार के जितने वाले को ही बाजीगर कहा जाता है। इसी तरह विषम परिस्थिति में मरवाही का कमान सौंपकर जोगी के गढ़ को भेदने की मैदान में उतारा और वहां भी अपनी रणनीति में कामयाब हुए जोगी के गढ़ की कांग्रेस का गढ़ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। पार्टी में बढ़ते कद को लेकर पार्टी के अंदरखाने के लोग ही मंत्री को कई बार गिराने का प्रयास भी किया लेकिन जब जब रोकने का प्रयास किया तब तब दोगुने उत्साह से मेहनत कर साबित कर दिया कि तुम मुझको कब तक रोकेगे।
रणनीतिकार के रूप में उभरे पार्टी में
मंत्री जयसिंह अग्रवाल की सधी राजनीति से ही कांग्रेस आलाकमान ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में उन्हें झज्जर जिले का दायित्व सौंपा था। प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनाने से चूक गई, पर झज्जर जिले की चारों सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी विजयी रहे। अग्रवाल को एक चुनावी रणनितिकार के रूप में माना जाता है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय संगठन ने पिछले कई चुनाव में इनकी रणनिति पर जहां विश्वास किया, वहां कार्यकर्ताओं और नेताओं को पार्टी के पक्ष में साधने में मंत्री जयसिंह सफल रहे हैं।
संख्या कम फिर भी निगम में जमाया कब्जा
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नगरीय क्षेत्र में सभी सीट जीतने का दावा किया था और इस दावे को पूरा करने में मंत्री जयसिंह अग्रवाल सफल रहे। उनकी रणनीति से ही कोरबा नगर निगम में संख्या कम होने के बावजूद महापौर व सभापति पद पर कांग्रेस प्रत्याशी विजयी रहे। यही वजह है कि प्रदेश कांग्रेस ने मरवाही सीट को कांग्रेस के पक्ष में लाने की महती जिम्मेदारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल को मरवाही-पेंड्रा-गौरेला का अतिरिक्त प्रभार मरवाही चुनाव में कांग्रेस की जीत हासिल करने सौंपा गया और उसे जीत कर झोली में डाल दिया।
राजनैतिक सफ़र
राजनैतिक जीवन की शुरुआत छात्रसंघ से की। सर्वप्रथम कोरबा में छात्र संघ के अध्यक्ष बने। फिर अविभाजित मध्यप्रदेश में 1996 से 1998 तक राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त; साडाद्ध के अध्यक्ष रहे। वर्ष 1998 से 2003 तक बतौर सांसद प्रतिनिधि, कोरबा के रूप में कार्य किया। कोरबा की जनता ने इस दौरान उनके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की और संसदीय क्षेत्र में उनकी पहचान बनी। वर्ष 2004 से 2011 तक छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महामंत्री के रूप में संगठनात्मक कार्यों से जुड़े रहे। इस दौरान विभिन्न जिलों के संगठन प्रभारी भी रहे। वर्तमान में वर्ष 2010 से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य हैं एवं वर्ष 2008 से लगातार अब तक छत्तीसगढ़ के कोरबा से विधायक हैं।
