नमस्ते कोरबा :- जिला प्रशासन और राज्य सरकार लोगों तक सरकारी सुविधाओं को पहुंचाने का चाहे कितना भी ढिंढोरा पीट ले धरातल पर स्थिति ठीक इसके विपरीत रहती है, जिन पहाड़ी कोरवाओं के नाम से कोरबा शहर का नामकरण हुआ है एवं जिन्हें आप और हम राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र के नाम से भी पहचानते हैं उनको और उनके मासूम बच्चों को मिल रही सुविधाओं का ऐसा आलम है कि प्राथमिक शाला एक झोपड़ी में लग रही है और जिसमें पढ़ाने वाले शिक्षक महीनों से गायब रहते हैं,
हम बात कर रहे हैं जिला मुख्यालय से लगभग 65 किलोमीटर दूर रामपुर विधानसभा अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत नकिया,ग्राम खम्होंन कि जहां एक स्कूल ऐसा है जिसे आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के बावजूद भी अपना पक्का भवन नहीं मिल सका है,

आपको जानकर आश्चर्य होगा आजादी के 75 साल बाद भी ग्राम खम्होंन का स्कूल एक झोपड़ी में संचालित हो रहा है और उस स्कूल के एकमात्र शिक्षक हैं जो 15 अगस्त को झंडा फहराने गए थे उसके बाद गये ही नहीं, शिक्षक महोदय 2 महीने 3 महीने में एक बार जाते हैं और पूरे महीने का वेतन आहरण कर रहे हैं। आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि बच्चों को किस प्रकार की शिक्षा दी जा रही है।
प्राथमिक शाला भवन निर्माणाधीन है वह भी लगभग जर्जर हो चुका है। पता चला है कि उस स्कूल को निर्माण करने के लिए जो राशि प्राप्त हुई थी उसका भी बंदरबांट कर लिया गया है।
शिक्षा का अधिकार सिर्फ कानून बन के रह गया है, अगर वाकई में प्रदेश के मुखिया यह मानते हैं कि हर बच्चे को शिक्षा पाने का अधिकार है तो फिर क्यों खम्होंन गांव के बच्चों को शिक्षा पाने के अधिकार से वंचित रखा जा रहा है।
