


इसे संध्या अर्घ्य भी कहते हैं. उगते सूर्य को अर्घ्य देने की रीति तो कई व्रतों और त्योहारों में है लेकिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा केवल छठ में ही है. अर्घ्य देने से पहले बांस की टोकरी को फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू और पूजा के सामान से सजाया जाता है. सूर्यास्त से कुछ समय पहले सूर्य देव की पूजा होती है फिर डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा की जाती कोरोना के बढ़ते हुए मामलों के बीच जिला प्रशासन ने छठ पूजा के लिए लोगों से घरों में पूजा करने की अपील की थी जिससे लोगों ने घरों पर ही पूजा की तैयारियां की एवं शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया