जर्जर भवन में संचालित हो रहा है कोरबा का आयुष विंग
कोरबा मेडिकल कॉलेज सह जिला अस्पताल में संचालित आयुर्वेद अस्पताल को स्वयं उपचार की जरूरत, जर्जर भवन के डर से नहीं आते मरीज
नमस्ते कोरबा :- दस रुपए में पंचकर्म, आँखों के रोग, शारीरिक रोग, सायटिका सहित हर छोटी-बड़ी बीमारी का इलाज, दवाइयां पूरी तरह मुफ्त, फिर भी जर्जर भवन के डर से मरीज नदारद। सुनने में यह थोड़ा अजीब लगे लेकिन यह कोरबा मेडिकल कॉलेज सह जिला अस्पताल में संचालित आयुष विभाग की असल कहानी है। मेडिकल कॉलेज के डीन के कार्यालय से सटे आयुष विभाग में किसी समय इलाज के लिए मरीज आते थे लेकिन प्रचार-प्रसार का अभाव और जर्जर भवन के कारण हादसा कि आशंका से अब इनकी संख्या अंगुली पर गिनने लायक रह गई है।आयुष चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने और आम लोगों को न्यूनतम दर पर इलाज उपलब्ध कराने के उद्देश्य के लिए छग के सभी जिलों में आयुर्वेद तथा यूनानी अस्पताल संचालित किए गए हैं। आयुष विभाग का उद्देश्य आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार था. लेकिन इन अस्पतालों में कहीं चिकित्सक नहीं है तो कहीं आयुर्वेद चिकित्सा के लिए यन्त्र नही है कहीं चिकित्सक और यन्त्र है भी तो जर्जर भवन और प्रचार-प्रसार में अभाव के चलते यहाँ मरीज इलाज कराने से परहेज बरतते है। ऐसा ही हाल कोरबा मेडिकल कॉलेज सह जिला अस्पताल में स्थित आयुष विभाग का है। आयुष विभाग अंतर्गत आयुर्वेद अस्पताल के सीलन भरे कमरे, दरार युक्त दीवारे और प्लास्टर गिरते जर्जर छत के नीचे संचालित यह भवन अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।आयुष विभाग अंतर्गत कोरबा के आयुर्वेद चिकित्सालय में चिकित्सक की कमी नही है लेकिन दशकों पहले बने भवन का एक बार भी मरम्मत न करने से वर्तमान में अस्पताल जर्जर हालात में पहुंच चुका है। भवन निर्माण के एक-दो साल तो सब कुछ ठीक रहा लेकिन इसके बाद न तो विभाग ने रखरखाव की चिंता की, न प्रचार-प्रसार की। हालत यह हो गई कि किसी समय मरीजों से आबाद रहने वाले आयुर्वेद अस्पताल में अब सन्नाटा पसरा रहता है। बदहाली का यह आलम केवल थेरेपी कक्ष और स्टोर रूम का ही नही आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी कक्ष का भी है. आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी संतोष रात्रे ने बताया कि जर्जर भवन के कारण हादसे की आशंका बनी रहती है, स्टाफ सहित मरीजों को असुरक्षा महसूस होती है. उन्होंने आगे बताया कि एक छोटा सॅ कक्ष आयुष विभाग के लिए नया बना है उसको भी मेडिकल कॉलेज वालों ने अपने अधीन रख लिया है.
अब इन तस्वीरों पर गौर फरमाइए जहाँ जर्जर भवन में टेबल, कुर्सी, आलमारी व एक रैक पर कुछ आयुर्वेदिक दवाएं रखी हैं. इस कमरे की हालत भी दयनीय है। यहाँ कि कमजोर दीवारें कभी भी धंस सकती हैं. स्टोर रूम की हालत भी दयनीय है. आयुर्वेद विभाग के कंपाउंडर ने बताया कि कक्ष के अभाव में सभी आयुर्वेद यंत्र को एक ही जगह रख दिया गया है.
गौरतलब है कि आयुर्वेद विभाग में मरीजों के लिए पंचकर्म की संपूर्ण व्यवस्था है। इसके लिए यहां शिरोधारा, सर्वांगधारा, वमन सहित अन्य यंत्र हैं। अस्पताल में नियमित रूप से सुबह 8 से दोपहर 1 बजे तक ओपीडी लगती है। इसमें महज दस रुपए की पर्ची बनवाकर कोई भी इलाज करा सकता है। मरीजों को अस्पताल से दवाइयां भी मुफ्त उपलब्ध कराई जाती हैं। यहाँ आयुर्वेद विशेषज्ञ, मेडिकल ऑफिसर, कंपाउंडर, दवासाज सभी का स्टाफ तैनात है कमी है तो बस एक सुरक्षित भवन का और यदि इस बारीश के पहले इनकी मरम्मत या अन्यत्र शिफ्टिंग नहीं की गई तो बड़ा हादसा हो सकता है।