Tuesday, October 14, 2025

कोरबा शहर में पहचान खो रहा है शहर का हृदय स्थल घंटाघर

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कोरबा….. घंटाघर की विशेष पहचान घड़ी ने अपना दम तोड़ दिया है शहर के हृदय स्थल में स्थित घंटाघर को घड़ी चौक के नाम से भी जाना जाता है दूर से दिखाई देने वाली एकमात्र घड़ी लंबे समय से खराब पड़ी है नगर निगम बनने के शुरुआती सालों में भाजपा के महापौर थे और अभी वर्तमान में कांग्रेस के महापौर है लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते घंटाघर धीरे-धीरे अपना वजूद खोता जा रहा है घंटाघर निर्माण के बाद शुरुआती दौर में राहगीरों को समय बताने के लिए चारों तरफ कांटे वाली घड़ी लगाई गई थी ताकि चारों तरफ से आवागमन करने वाले लोगों को दूर से ही सही समय का पता चल सके कुछ साल पहले इसे डिजिटल घड़ी में बदला गया इसकी सुंदरता को दर्शाने पानी के झरने रंग बिरंगी लाइट हरे-भरे पौधे देखने शहर सहित बालको राजगामार कुसमुंडा कटघोरा सहित उपनगरीय ग्रामीण के लोग आते थे और कुछ समय व्यतीत करते थे घंटाघर बच्चों को काफी आकर्षित करता था देखरेख के अभाव में सौंदर्य करण बदहाल हो गया है जिससे लोगों में नाराजगी है इसके बावजूद तक निगम के अधिकारी कोई सुध नहीं ले रहे हैं घंटाघर चौक निहारिका रविशंकर नगर व महाराणा प्रताप कॉलोनी मुड़ापार क्षेत्र बुधवारी क्षेत्र का केंद्र है घंटाघर कंपलेक्स पर बड़ी संख्या में दुकान में संचालित हो रही है चौक के आकर्षण को देखते हुए पारियों में काफी उम्मीद से दुकानें खरीदी थी इसकी सुंदरता में कमी आने के कारण ग्राहकों ने भी दूरी बना ली है व्यापारियों ने बताया कि व्यवस्था के सुधार के लिए कई बार हमारे द्वारा शिकायत की गई लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होती देखरेख के अभाव में चारों तरफ गंदगी पसरी रहती है चौक के साफ-सफाई को लेकर कर्मचारियों को सुध नहीं है घंटाघर परिसर में जगह-जगह कचरे का ढेर लगा हुआ है प्रतिदिन उठाव नहीं होने से सड़ जाते हैं जिससे दुर्गंध होती है जिसके कारण लोग यहां से गुजरना तक पसंद नहीं करते करोड़ों की लागत से घंटाघर का निर्माण को करा दिया गया है लेकिन इसके रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिससे घंटाघर की सुंदरता खोती चली जा रही है यह निर्मित पार्क के आसपास पानी का जमाव रहता जिससे मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है बारिश में स्थिति और भी खराब हो जाती है व्यापारियों ने बताया कि नगर निगम के द्वारा दुकान में तो बना दी गई है लेकिन किसी प्रकार की सुविधा नहीं दी गई इतने बड़े परिसर में ना तो पीने की पानी की व्यवस्था है और ना ही शौचालय है घंटा घर के अंदर खाली पड़ी जमीनों मैं गंदगी का अंबार पड़ा हुआ है शाम होते ही यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा भी लग जाता है
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