नमस्ते कोरबा :- आजादी के इतने सालों बाद भी जिले में कई गांव ऐसे हैं जिनमें पहुंचने के लिए पगडंडियों का सहारा लिया जाता है सरकार चाहे कितने भी दावे कर ले पर धरातल पर स्थिति अलग है, कोरबा जिले के ही अमलडिहा ग्राम पंचायत के आश्रित गांव बलसेघा व मांझीकछार की कहानी बिल्कुल अलग है। यहां की आबादी अभी झरिया और नदी नाले में पानी पीने को मजबूर है । पूरी छह दशक अंधेरे में गुजारने के बाद इन लोगों ने वर्ष 2008 में देखा कि सोलर बिजली क्या होती है। बुनियादी सुविधाओं के मामले में गांव पिछड़ा नहीं बल्कि गरीब है। कोरबा जिले के बलसेघा व मांझीकछार गांव में बिजली,पानी सड़क की समस्या है।
जिला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर बसा बलसेघा व मांझीकछार में 500 लोगों की आबादी निवास करती है। चारों ओर से घिरे घने जंगलों के बीच यह गांव बसा हुआ है और मूलभूत सुविधाओं से भी यह गांव कोसों दूर है। शिक्षा की कई योजनाओं के बावजूद यहां पर विद्यालय नहीं है और प्रारंभिक शिक्षा देने के लिए आंगनबाड़ी चल रहा है लेकिन किराए के मकान में। इस इलाके में 14 वर्ष पहले सोलर लाइट की सुविधा हुई यानी स्वतंत्रता प्राप्ति के 53 साल बाद ।
ग्रामीण बताते हैं कि वर्ष 2008 में यह सुविधा उनके यहां आई और तब से रात में रोशनी देख पा रहे हैं । इससे कुछ फायदा मिला है । जबकि इसी इलाके में कल बच्चों को परंपरागत रोशनी में पढ़ते हुए देखा जा रहा है । शुद्ध पेयजल लोगों को उपलब्ध कराए जाने को प्राथमिकता घोषित किया गया है और इसके अंतर्गत काम किए जा रहे हैं लेकिन इन ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की सुविधा नहीं होने से तस्वीर अलग है । कई स्थान पर हमें महिलाओं का समूह को और दूसरी जगह से पानी लेते हुए नजर आया। क्षेत्र के युवक ने बताया कि इलाके में बुनियादी सुविधाओं को लेकर लगातार मांग की जाती रही है आश्वासन जरूर मिले लेकिन परिणाम कुछ भी नहीं । कोरबा के जंगलों में पर्यटन की भी अपार संभावनाएं है,अथाह जंगल नैनाअभिराम दृश्यों से भरे पड़े है, अनेकों झरने,नाले जहां शहर के लोग जाकर कुछ पल सकून का बीता सकते हैं,
कोरबा जिले के इन सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में इतने वर्षों बाद पक्की सड़क नहीं बन सकी। सड़क संपर्क की कमी है विद्यार्थियों से लेकर महिलाओं पुरुषों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। छोटे-बड़े वाहन अपने कार्यों के लिए पगडंडी जैसे रास्ते पर चलते नजर आते हैं। सबसे अधिक समस्या तब होती है जब इलाके के लोग बीमार पड़ जाते हैं और उन्हें बेहतर उपचार के लिए जिला मुख्यालय अथवा दूरदराज के अस्पताल ले जाने की नौबत आती है। समय पर मरीज को अस्पताल नहीं भिजवाया जा सका नतीजे कुछ भी हो सकते हैं,
जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को इस इलाके से जुड़ी समस्याओं की जानकारी ना हो ऐसा संभव नहीं। 2023 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। कम से कम ग्रामीण मतदाताओं के हित का ध्यान रखते हुए इलाके की समस्याओं को समझने और हल निकालने के बारे में गंभीरता दिखानी चाहिए, नेताओं और जिले के जनप्रतिनिधियों को समझना होगा यह केवल उनके वोट बैंक नहीं है इनकी भी आवश्यकताएं हैं,जरूरतें हैं जिन्हें विशेष प्राथमिकता से पूरा करना होगा,