
नमस्ते कोरबा :- आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितिया तिथि को मनाए जाने वाले भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा पर्व के लिए ग्राम दादर खुर्द का रथजुतिया जिले भर में दर्शनीय है। रानी धनराज कुंवर की जमींदारी के समय से गांव के मालगुजार थवाईत परिवार ने इस परंपरा की शुरुआत 120 साल पहले की थी। तब से लेकर यह आयोजन प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाया जाता है।

धार्मिक सौहार्द्रता का प्रतीक रथजुतिया पर्व जिले के विभिन्न गांवों में आयोजित किया जाता है, किंतु ग्राम दादर खुर्द की रथ यात्रा विभिन्न विशेषताओं के कारण प्रासंगिक है। जिले में संभवतः दादर खुर्द ही एक ऐसा गांव है जहां भगवान जगन्नाथ स्वामी का भव्य मंदिर है। यहां प्रतिदिन पूजा अर्चना होती है। प्रति वर्ष रथयात्रा के दौरान यहां मेले का आयोजन किया जाता है। गांव के लोगों में सांस्कृतिक समरूपता का परिचायक यह पर्व शहरवासियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र होता है। जनश्रुति के अनुसार गांव में इस परंपरा की शुरुआत यहां के ही निवासी मालगुजार थवाईत परिवार ने की थी।

मान्यता के अनुसार भगवान जगन्नाथ आषाढ़ कृष्ण पक्ष की द्वितिया को अपनी मौसी के घर जाते है। यहां आठ दिन ठहरने के पश्चात् वापस घर आते हैं।इस परंपरा का निर्वहन करते हुए भगवान जगन्नाथ के रथ को गांव के राम जानकी मंदिर में लाकर स्थापित किया जाता है। दशमी के दिन पारंपरिक विधान से भगवान को पुनः मंदिर में वापस लाया जाता है। पारंपरिक लोक वाद्य मांदर की थाप में झूमते कर्मा दल की अगवाई में भगवान जगन्नाथ का रथ आगे बढ़ता है। दूर-दूर गांव से लोग भगवान के रथ को खींचकर पुण्य पल पाने के लिए दादर में आते हैं।








