
नमस्ते कोरबा :: कोरबा शहर में अखंड सौभाग्य की कामना का पर्व वट सावित्री का मनाया जा रहा है। इस अवसर पर सुहागिन महिलाओं ने सुबह से कड़ा व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा की। मुहूर्त के हिसाब से वे पूजा की फिर धूप, दीप, रोली, भिगोए चने, सिंदूर आदि से पूजन किया। फिर वट वृक्ष की 5,11, 21, 51 या 108 बार परिक्रमा की। पति के स्वास्थ्य, दीर्घायु, सुखी दांपत्य जीवन और संतान के लिए सुख, समृद्धि की कामना की। पूजा स्थल पर ही पंडितों से सावित्री और सत्यवान की कथा सुनी। अंत में नीबू व शक्कर से बने शरबत और चने का प्रसाद ग्रहण किया।
महिलाओं के द्वारा बताया जाता है कि सुहागिनों का यह प्रमुख पर्व होता है इस पूजा को महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करती हैं इस दिन महिलाएं सुबह उठकर नित्यकर्म से निवृत होने के बाद स्नान आदि कर शुद्ध हो गई । फिर नए वस्त्र पहनकर, सोलह श्रृंगार किया । इसके बाद पूजन की सारी सामग्री को एक टोकरी, प्लेट या डलिया में सही से रख । फिर वट (बरगद) वृक्ष के नीचे सफाई किया। और वहां सभी सामग्री रखने के बाद स्थान ग्रहण की। इसके बाद सबसे पहले सत्यवान और सावित्री की मूर्ति को वहां स्थापित कर। फिर अन्य सामग्री जैसे हल्दी, जल, चावल, मिठाई, पुष्प, धूप, दीप, रोली, भिगोए चने, सिंदूर आदि से पूजन किया । इसके बाद लाल कपड़ा अर्पित किया और फल समर्पित की। फिर बांस के पंखे से सावित्री-सत्यवान को हवा किया और बरगद के एक पत्ते को अपने बालों में लगाई । इसके बाद धागे को पेड़ में लपेटते हुए जितना संभव हो सका 5,11, 21, 51 या 108 बार बरगद के पेड़ की परिक्रमा की। अंत में सावित्री-सत्यवान की कथा पंडितजी से सुनने के बाद उन्हें यथासंभव दक्षिणा दिया । नगर के कई महिलाओं ने तो स्वयं कथा खुद ही पड़ी। इस पूजा के चलते वट सावित्री पेड़ की पूजा करने के लिए सुबह से ही महिलाओं की भीड़ वटवृक्ष के पास लगना शुरू हो गया था। वटवृक्ष की पूजा समाप्त होने के बाद घर आकर उसी पंखें से अपने पति को हवा किया और उनका आशीर्वाद लिया । फिर प्रसाद में चढ़े फल आदि ग्रहण करने के बाद शाम के वक्त मीठा भोजन किया,

